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  • Authors: Dr. N.K. Giri
  • Authors: Ian Kerner
  • Authors: J. Krishnamurti

धन इसलिए जमा करना चाहिए कि उसका सुदपयोग किया जा सके और उसे सुख एवं सन्तोष देने वाले कामों में लगाया जा सके, किन्तु यदि जमा करने की लालसा बढ़कर तृष्णा का रूप धारण कर ले और आदमी बिना धर्म-अधर्म का ख्याल किए पैसा लेने या आवश्यकताओं की उपेक्षा करके उसे जमा करने की कंजूसी का आदी हो जाय तो वह धन धूल के बराबर है ।

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प्राणायाम से आधि-व्याधि निवारण का संछिप्त विवरण : प्राणायाम शब्द के दो खंड है – एक ‘प्राण’ दूसरा ‘आयाम’ है। प्राण का मोटा अर्थ है- जीवन तत्व और आयाम का अर्थ है-विस्तार। प्राण शब्द के साथ प्राण वायु जोड़ा जाता है। तब उसका अर्थ नाक द्वारा साँस लेकर फेफड़ों में फैलाना तथा उसके ऑक्सीजन अंश को रक्त के माध्यम से समस्त शरीर में पहुँचाना भी होता है। यह प्रक्रिया शरीर को जीवत रखती……..

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In 1950 Krishnamurti said: "It is only when the mind is not escaping in any form that it is possible to be in direct communion with that thing we call lonliness, the alone, and to have communion with that thing, there must be affection, there must be love."

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